Sunday, December 9, 2007
खाली ब्लाग बना देहला से थो़ड़े न कुछु होई....
हमके जनाता की दस बारह दिन त होई गइल होई इ ब्लाग बनवले। बाकिर अबे एकरा बारे में ढ़ेर अदमिन के जानकारी नइखे, एसे केहू एह पर लिखत नइखे। एगो अउरी बात इ बतावे के रहल ह की, ए ब्लाग क नाम पहिले भोजपुरियाटिक रखल गइल रहे, बाकिर कुछ अदमिन क कहला पर एकर नाम बदल के अब बाटी - चोखा कइल जात ह..। हं..एकरा बाद अब एकर नाम ना बदली, एकर गारंटी बाटे। जे केहू ए ब्लाग पर आवे ओसे हथजोरिया बा की कुछउ लिख के जाए...कहीं दूसरा जगह से त लिखे पढ़े वाला अदमी अइहं नाहीं। हमनिए के ई काम करे के पड़े। तोहन लोग देखलहीं होइब जा कि मैथली में कइगो ब्लाग चलत बा आजकल। हमनीं के आपन बोली के बचावे के बा त भोजपुरी में तनी मनी त बोले चाले के पड़ी। तबे जाके आगे ए पर कुछऊ ढंग क पढ़े के मिल पाई...।
Saturday, December 1, 2007
भंवरवा के तोहरा संग जाई....
(कहीं से त सगुन करहीं के रहल ह, औरी कुछ ना बुझात रहल ह, एसे ई गीत एहिजा डाल देनी ह। उम्मीद बा कि आगे सब केहू इ ब्लाग पर कुछ न कुछ लिखत रही...)
भंवरवा के तोहरा संग जाई,
आवे के बेरियां सभे केहू जाने,
दु्अरा पे बाजल बधाई,
जाए के बेरियां, केहू ना जाने,
हंस अकेले उड़ जाई....
भंवरवा के तोहरा संग जाई,
देहरी पकड़ के मेहरी रोए,
बांह पकड़ के भाई,
बीच अंगनवां माई रोए,
बबुआ के होखेला बिदाई,
भंवरवा के तोहरा संग जाई,
कहत कबीर सुनो भाई साधो,
सतगुरु सरन में जाई,
जो यह पढ़ के अरथ बैठइहें,
जगत पार होई जाई,
भंवरवा के तोहरा संग जाई।
भंवरवा के तोहरा संग जाई,
आवे के बेरियां सभे केहू जाने,
दु्अरा पे बाजल बधाई,
जाए के बेरियां, केहू ना जाने,
हंस अकेले उड़ जाई....
भंवरवा के तोहरा संग जाई,
देहरी पकड़ के मेहरी रोए,
बांह पकड़ के भाई,
बीच अंगनवां माई रोए,
बबुआ के होखेला बिदाई,
भंवरवा के तोहरा संग जाई,
कहत कबीर सुनो भाई साधो,
सतगुरु सरन में जाई,
जो यह पढ़ के अरथ बैठइहें,
जगत पार होई जाई,
भंवरवा के तोहरा संग जाई।
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